कुछ मेरे बारे में
मेरे जन्म के पूर्व, वर्णमाला बन चुकी थी,
शब्द बना लिये गये थे, व्याकरण भी मैंने नहीं बनायी,
वाक्य बनाना मैंने औरों से सीखा, समाचार पत्र भी बहुत दिनों से पढ़ रहा हूँ,
पुस्तकालय की उम्र मेरी उम्र से दुगुनी है, दृष्टिकोण में पूर्वाग्रह विरासत में मिला है,
मेरा पेन भी किसी ने भेंट किया है. अपनी पुस्तक के लेखक के रूप में,
सिर्फ स्वयं का नाम लिख रहा हूँ,
क्या आप मुझे क्षमा करेंगे ?

मौलिकता
न अनुवाद
न भावार्थ लिखो
जो लिखा है और ने,
उसे न बार-बार लिखो।
न समीक्षा,
न समालोचना,
स्वयं लिखो स्वयं का
औरों का न आधार लिखो ।
न टिप्पणी,
न प्रतिकिया,
बेकार लिखे पर
क्यों बेकार लिखो ।

बुढ़ापा जिये जीवन पल पल में संतुष्टि और व्यापार, सब बेकार वसुधैव कुटुम्बकम्

Design By : Author Sarik Khan